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{{KKRachna
|रचनाकार=पारुल पुखराज
|संग्रह=जहाँ होना लिखा है तुम्हारा / पारुल पुखराज
}}
{{KKCatKavita}}<poem>निषिद्ध
हैं कुछ शब्द
जीवन में
जैसे कुछ
जगहें
अंधी कोई
बावड़ी
जैसे
सिसकी अधूरी
सूना
आकाश
व्यक्त हो जिनमें तुम
जहाँ होना लिखा है तुम्हारा
</poem>
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जगहें
अंधी कोई
बावड़ी
जैसे
सिसकी अधूरी
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आकाश
व्यक्त हो जिनमें तुम
जहाँ होना लिखा है तुम्हारा
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