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{{KKRachna
|रचनाकार=अशोक शर्मा
|संग्रह=
}}
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<poem>कुछ लोग हम से अक्सर मिल कर बिछड़ जाते है!
कुछ रिश्ते बनते तो है कुछ मगर बिगड़ जाते है!!
जब मिलते है वो फ़कत रातों की नींदें उड़ा देते है,
जब बिछड़ने है तो अक्सर घर भी उजड़ जाते है !!
पास रहते है तो हमे बस अपना सा बना लेते है,
जुदा होते है तो दिल के सब चैन भी उड़ जाते है!!
शायद कभी वो जिंदगी में फिर आयें या ना आयें,
अकेले में उन की यादों के समन्दर उमड जाते है !!
'आशु' कितना होता है दर्द, प्यार की कशमकश में,
खुशकिस्मत है फिर भी वो जो इश्क में पड़ जाते है!!
</poem>
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|रचनाकार=अशोक शर्मा
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<poem>कुछ लोग हम से अक्सर मिल कर बिछड़ जाते है!
कुछ रिश्ते बनते तो है कुछ मगर बिगड़ जाते है!!
जब मिलते है वो फ़कत रातों की नींदें उड़ा देते है,
जब बिछड़ने है तो अक्सर घर भी उजड़ जाते है !!
पास रहते है तो हमे बस अपना सा बना लेते है,
जुदा होते है तो दिल के सब चैन भी उड़ जाते है!!
शायद कभी वो जिंदगी में फिर आयें या ना आयें,
अकेले में उन की यादों के समन्दर उमड जाते है !!
'आशु' कितना होता है दर्द, प्यार की कशमकश में,
खुशकिस्मत है फिर भी वो जो इश्क में पड़ जाते है!!
</poem>