भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उज्ज्वल भट्टाचार्य |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=उज्ज्वल भट्टाचार्य
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>कहीं कोई कमी रह गई थी
सादी आंखों से पकड़ में भी नहीं आने वाली
लेकिन वो
एक्सपोर्ट के काबिल नहीं रह गया
साहबों के चमचमाते शोकेस के बदले
उसे जगह मिली फ़ुटपाथ पर
अचानक वो
लगभग हर किसी की पहुंच के अंदर आ गया
बेचने वाले शातिर थे
ख़रीदने वाले भी शातिर
दोनों एक-दूसरे को बेवकूफ़ बना रहे थे
वो उनके धंधे का हिस्सा बन गया
दोनों को पता था
वो रिजेक्टेड है
लेकिन है बेशक काम का

बेशक वो काम का है
और रहेगा
अगर पतलून नहीं
तो फिर झोला बनकर
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits