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{{KKRachna
|रचनाकार=शिव कुमार झा 'टिल्लू'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>रास भाट समदाओंन गाओल नैन भिजाओल हे
माय हे सुरभि कहार कहरिया ल' क' अवध सँ आओल हे ...
रतन जड़ित नव वसन सँ मैथिली सजाओल हे
माय हे हर्खित नोर मयना रानी कि ओलती खसाओल हे ...
रघुवर हेरि नृप जनक केँ हिया सँ लगाओल हे
माय हे तात सुत मिलि चारु आँखि सँ गंग बहाओल हे ...
उर्मि श्रुति मांडवी रूप देखि नृप गदराओल हे
माय हे देवगन अनंत गगन सँ सुमन बरसाओल हे ...
धरतीरानी हहरलि कानलि ज्वार उठाओल हे
माय हे सिया धिया कहुना क' धरती के मान मनाओल हे ...
बहुआसिन रूप देखि तीनू माय मोन जुराओल हे
माय हे दशरथ पगपग आल- पीत ध्वज फहराओल हे ... </poem>
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|रचनाकार=शिव कुमार झा 'टिल्लू'
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>रास भाट समदाओंन गाओल नैन भिजाओल हे
माय हे सुरभि कहार कहरिया ल' क' अवध सँ आओल हे ...
रतन जड़ित नव वसन सँ मैथिली सजाओल हे
माय हे हर्खित नोर मयना रानी कि ओलती खसाओल हे ...
रघुवर हेरि नृप जनक केँ हिया सँ लगाओल हे
माय हे तात सुत मिलि चारु आँखि सँ गंग बहाओल हे ...
उर्मि श्रुति मांडवी रूप देखि नृप गदराओल हे
माय हे देवगन अनंत गगन सँ सुमन बरसाओल हे ...
धरतीरानी हहरलि कानलि ज्वार उठाओल हे
माय हे सिया धिया कहुना क' धरती के मान मनाओल हे ...
बहुआसिन रूप देखि तीनू माय मोन जुराओल हे
माय हे दशरथ पगपग आल- पीत ध्वज फहराओल हे ... </poem>