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मध्यवर्ग की पीठ / राग तेलंग

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<poem>पहले वो खुष था
तो उसे देखकर
दूसरा दुखी था

अब दूसरा खुष हुआ
तो पहले के
दुखी होने की बारी आई

आपस में दुख बांटने की बात तो दूर
दोनों एक साथ
कभी खुष नहीं दिखे

जाने कब से
वे दोनों
एक-दूसरे की ओर
पीठ किए खड़े हैं।
</poem>
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