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|रचनाकार=राग तेलंग
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}}
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<poem>मकड़ी के जैसा
सख़्त और महीन और
शायद सबसे सुंदर जाला
मैं बना तो नहीं सकता था
न ही उठाने में कभी समर्थ हुआ
अपना ही बोझ
फिर क्यों
एक ही वार में
ध्वस्त किया जाला और
उस मकड़ी के साथ
क्यों मारा
मैंने एक सुंदर कारीगर को ?
</poem>
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<poem>मकड़ी के जैसा
सख़्त और महीन और
शायद सबसे सुंदर जाला
मैं बना तो नहीं सकता था
न ही उठाने में कभी समर्थ हुआ
अपना ही बोझ
फिर क्यों
एक ही वार में
ध्वस्त किया जाला और
उस मकड़ी के साथ
क्यों मारा
मैंने एक सुंदर कारीगर को ?
</poem>