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{{KKRachna
|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>मुस्कानों के साथ हमेशा रहता है.
दीवानों के साथ हमेशा रहता है.
जिसके दिल में सिर्फ मुहब्बत रहती है,
अफसानों के साथ हमेशा रहता है.
जो भी शमा सा लहराता-बलखाता है,
परवानों के साथ हमेशा रहता है.
जिसको मस्ती रास हमेशा आती है,
मस्तानों के साथ हमेशा रहता है.
दिलवालों सँग कुछ दिन रहकर देख ज़रा,
धनवानों के साथ हमेशा रहता है.
</poem>
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|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>मुस्कानों के साथ हमेशा रहता है.
दीवानों के साथ हमेशा रहता है.
जिसके दिल में सिर्फ मुहब्बत रहती है,
अफसानों के साथ हमेशा रहता है.
जो भी शमा सा लहराता-बलखाता है,
परवानों के साथ हमेशा रहता है.
जिसको मस्ती रास हमेशा आती है,
मस्तानों के साथ हमेशा रहता है.
दिलवालों सँग कुछ दिन रहकर देख ज़रा,
धनवानों के साथ हमेशा रहता है.
</poem>