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क्या कौड़ियों के मोल बिकाती है मुफ़्लिसी॥13॥
उस ख़ूबरू को कौन दे अब दाम और दिरम<ref>चांदी का छोटा सिक्का, चवन्नी<ref>दिर्हम</ref></ref>दिर्हम।
जो कौड़ी-कौड़ी बोसे को राज़ी हो दम बदम॥
टोपी पुरानी दो तो वह जाने कुलाहे जम<ref>ईरान के बादशाह जमशेद का ताज</ref>।