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परिंदे कब लौटे (चोका- संग्रह) : डॉ. भावना कुँअर ;पृष्ठ-90 , मूल्य - 180 रुपये,प्रथम संस्करण-2016

‘तारों की चूनर’ , ‘धूप के खरगोश’ (दोनों हाइकु-संग्रह), ‘जाग उठी चुभन’(सेदोका –संग्रह) की सुघड़ रचनाकार डॉ. भावना कुँअर का चोका –संग्रह ‘परिंदे कब लौटे’ अपनी रुचिर-भाव-पूर्ण प्रस्तुति है । प्रवासी मन की अपनी मिट्टी के प्रति तड़प ,नारी मन की छटपटाहट के साथ – साथ प्रकृति , प्रेम में छल-छद्म , विरह और मिलन के ख़ूबसूरत बिम्ब लिए भावना जी की 36 चोका कविताएँ बेहद प्रभावित करती हैं । जहाँ नन्ही परी के आगमन पर उनका काव्य-संसार झूम उठता है...तो वहीं उदास मन को प्रकृति कितने जतन से मुदित करने का असफल प्रयास करती है –‘दुखी सलवटें’ इसका बहुत ख़ूबसूरत उदाहरण है । ‘याद-परिंदे’ , ख़्वाबों में ‘मेरी अम्मा का गाँव’ , वहशी दरिंदों का शिकार बनी मासूम परी की ‘दर्द भरी कहानी’ पुस्तक की ऎसी भाव प्रवण चोका रचनाएँ हैं जो मन में गहरे उतर जाती हैं । ‘बिछोह-घड़ी’ विदा होती बिटिया के मन का छलक उठना है तो ‘माँ का दुःख’ उपेक्षित माँ के दर्द की अव्यक्त व्यथा कथा है ।रिश्तों में आए उतार-चढ़ाव से उपजे अवसाद और प्रेम की भूलभुलैया में भटकन से उपजी थकन का समाधान जानती हैं कवयित्री ।‘लॉरीकीट जोड़ा’ और ‘नन्हा टाइलर’ कविताएँ कवयित्री के प्राणिमात्र के प्रति प्रेम से परिपूर्ण अति संवेदनशील मन का सुन्दर दर्पण हैं ।
डॉ ज्योत्स्ना शर्मा