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भेद सर उठा रहा, मनुष्य को मिटा रहा,
गिर रहा समाज , आज बाजुओं में थाम ले
::::त्याग का न नाम दाम ले,
दे बदल नसीब तो गरीब का सलाम ले!
न्याय भी हमें मिले कि नीति भी नहीं हिले
प्यार है मनुष्य से तो रौशनी से काम ले,
::::त्याग का न नाम दाम ले,
दे बदल नसीब तो गरीब का सलाम ले!
किंतु अब स्वराज है, प्रजा के सिर पे ताज है
छाँव दे जहान को, तू अपने सिर पे घाम ले,
::::त्याग का न नाम दाम ले,
दे बदल नसीब तो गरीब का सलाम ले!
वर्ग की तनातनी, न मानती है चाँदनी,
चाँदनी लिए चला तो घूम हर मुकाम ले,
::::त्याग का न नाम दाम ले,
दे बदल नसीब तो गरीब का सलाम ले!
यों नई दिशा दिखा, कि दीप की हँसे शिखा,
साम्यवाद भी मिले, तो चूम ग्राम-ग्राम ले,
::::त्याग का न नाम दाम ले,
दे बदल नसीब तो गरीब का सलाम ले!
फूल साम्य का खिला, कुटीर से महल मिला,
घर बसा करोड़ का, करोड़ का प्रणाम ले--
::::त्याग का न नाम दाम ले,
दे बदल नसीब तो गरीब का सलाम ले!
यों हमें उबार तो, समाज को सिंगार तो,
कोटि-कोटि के हृदय में कर सदैव धाम ले,
::::त्याग का न नाम दाम ले,
दे बदल नसीब तो गरीब का सलाम ले!
शक्ति यों पसार दे, व्यक्ति दुःख बिसार दे,
प्यार का हज़ार बार प्यार ही इनाम ले,
::::त्याग का न नाम दाम ले,
दे बदल नसीब तो गरीब का सलाम ले!
कर्णधार है तो चल, दरिद्र की दिशा बदल,
देश को अमर बना के उम्र कर तमाम ले,
::::त्याग का न नाम दाम ले,
दे बदल नसीब तो गरीब का सलाम ले!
आके मिल समाज में कि भाग ले स्वराज में
शांति भोग, किंतु बागडोर से विराम ले,
::::त्याग का न नाम दाम ले,
दे बदल नसीब तो गरीब का सलाम ले!
रास्ता दे भीड़ को, सँवार अपने नीड़ को,
पीपलों की छाँव में, तू बैठ राम-नाम ले--
::::त्याग का न नाम दाम ले,
दे बदल नसीब तो गरीब का सलाम ले!
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