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तीरगी सदियों की पल में दूर कर जाते हैं वो
एक इक झलक के वास्ते बेचैन रहता हूँ सदा देखकर हालत मेरी चुपके से मुस्काते हैं वो
मुस्कुरा कर वह बढ़ा देते हैं बेचैनी मेरी
क्यों दिल -बेताब को मेरे किसलिए हर रोज़ तड़पाते हैं वो
एक नागिन की तरह लहराता है उनका बदन
बेरुख़ी के जाम को आँखों से छलकाते हैं वो
वह तरन्नुम है कि सुनकर झूम उठते हैं सभीउठती है फ़ज़ाजब भी महफ़िल में मेरे इस गीत नग़मात को गाते हैं वो
जीते जी ख्वाहिश न ख़्वाहिशे-दिल पूरी अपनी कर पाया न जीते जी 'रक़ीब'ख्वाहिशे-दिल ख़्वाब में भी लेकिन तमन्ना पूरी कर जाते हैं वो
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