भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अधर / प्रेमघन

837 bytes added, 16:37, 20 अगस्त 2016
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
{{KKCatBrajBhashaRachna}}
<poem>
मन्द महा मधु माधुरी कन्द,
::नवात न वात की आवै विचार मैं।
ईख न लोची नहीं सरदा,
::नहिं जामुन सेब कै तूत हजार मैं॥
चूसि लह्यो रसना घन प्रेम,
::जो वा मधुराधर के सुधासार मैं।
सो रस के रस को नहिं लेसहु,
::पाइए आम अँगूर अनार मैं॥
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits