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लेखक: [[अज्ञेय]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=अज्ञेय]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~}}
मैं कब कहता हूं जग मेरी दुर्धर गति के अनुकूल बने,<br>
मैं कब कहता हूं जीवन-मरू नंदन-कानन का फूल बने ?<br>