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|रचनाकार=मुरली चंद्राकर
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एकर महिमा ल सुन रे भैया, गा के तोला समझावौ हो
ऐसन छत्तीसगढ़ के बोली, के भेद ल कैसे बतावौ
गौरा गुडी के गीत, सुन जिया भहरा जथे
सुवा पड़की के राग, थपडी म मन ह बोधा जथे
खार ददरिया के ताना ल सुनके, रददा रेंगैया लजावे हो
ऐसन छत्तीसगढ़ के बोली…
अलगोजवा के ताना ल सुन के समधिन ह भड़क जथे
लगथे छाती में बाण आनी बानी के भड़त रहिथे
अंतस के कोनो गम नई पावे, मने मन मुसकाव हो
ऐसन छत्तीसगढ़ के बोली…
नरवा तरिया के गोठ, सुन सुन रददा पठल जथे
मैके ससुरे के गोठ सुन सुन जी ह मचल जथे
ऐसन बोली के गढ़ बर भैया, जम्मो के मन रधियावे हो
ऐसन छत्तीसगढ़ के बोली…
कुकुर कौंवा नइ बिसरे बाबू, अपन बोली अउ बात ल
जम्मो के मरजाद तोपाय हे, बोली के पुन परताप म
अमली के पेड़ म अमली फरथे, आमा कैसे देखावों हो
ऐसन छत्तीसगढ़ के बोली…
</poem>
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एकर महिमा ल सुन रे भैया, गा के तोला समझावौ हो
ऐसन छत्तीसगढ़ के बोली, के भेद ल कैसे बतावौ
गौरा गुडी के गीत, सुन जिया भहरा जथे
सुवा पड़की के राग, थपडी म मन ह बोधा जथे
खार ददरिया के ताना ल सुनके, रददा रेंगैया लजावे हो
ऐसन छत्तीसगढ़ के बोली…
अलगोजवा के ताना ल सुन के समधिन ह भड़क जथे
लगथे छाती में बाण आनी बानी के भड़त रहिथे
अंतस के कोनो गम नई पावे, मने मन मुसकाव हो
ऐसन छत्तीसगढ़ के बोली…
नरवा तरिया के गोठ, सुन सुन रददा पठल जथे
मैके ससुरे के गोठ सुन सुन जी ह मचल जथे
ऐसन बोली के गढ़ बर भैया, जम्मो के मन रधियावे हो
ऐसन छत्तीसगढ़ के बोली…
कुकुर कौंवा नइ बिसरे बाबू, अपन बोली अउ बात ल
जम्मो के मरजाद तोपाय हे, बोली के पुन परताप म
अमली के पेड़ म अमली फरथे, आमा कैसे देखावों हो
ऐसन छत्तीसगढ़ के बोली…
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