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झरी. / रमेश क्षितिज

No change in size, 05:43, 22 नवम्बर 2016
टाढा बजिरहन्छ भयानक संगीत
र पहाडले मस्तसँग चुरोट पिएर
धुवंै–धुवाँ धुवै‌–धुवाँ उडाउँछ बादल
अनि भावुक मनका प्रदेशहरूमा फेरि
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