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लेखक लइक तोर नइ थोथना, दरपन देख लगा ले थाह।
सांगर मोंगर अड़िल युवक हस, गांव लहुट के नांगर जोंत
काम असादी के बदला मं, श्रम करके झड़ गांकर रोंेठ।”रोंठ।”
हंसिस कार्यक्रम अधिधाशी हा, पर मंय मानेव कहां खराब!
गोड़ तरी मोंगरा खुतलाथय, तब ले ओहर देत सुगंध।