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प्रथम बार जो पढ़े गये वो कवि रफ़ीक़ सादानी
‘युगतेवर’ ने ताबिश पर, मजरूह पे अंक निकाला
कभी त्रिलोचन, भी कभी जायसी का भी काव्य खॅगाला।
इसी श्रृंखला में आयी है अब अजमल की बारी
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