भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
तुम मेरे दिल में हो, मेरे दिल का ज़वाब दो!
X X X X X
मैं समझता था कि मेरा तू नहीं ।
X X X X X
दर्द की इन्तहा नहीं होती
X X X X X
X X X X X
कुछ कनखियों से इशारा-सा किया!
XXXX