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{{KKRachna
|रचनाकार=गौरीशंकर
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
पांच माथा चाइजै
पट्टौ करवावण खातर
जुबान रो।
हेताळू
जमीन रौ माथौ दै
माटी री सौरम दै
हूंस जगा
उण जमीन सारू लड़ण री
पांच नीं
अलेखू मोट्यार है
पट्टो बणावण सारू
हूंस जगा
लड़ण सारू..।
</poem>
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|रचनाकार=गौरीशंकर
|अनुवादक=
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पांच माथा चाइजै
पट्टौ करवावण खातर
जुबान रो।
हेताळू
जमीन रौ माथौ दै
माटी री सौरम दै
हूंस जगा
उण जमीन सारू लड़ण री
पांच नीं
अलेखू मोट्यार है
पट्टो बणावण सारू
हूंस जगा
लड़ण सारू..।
</poem>