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{{KKRachna
|रचनाकार=राजूराम बिजारणियां
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
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{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
आभै रै लूमतै बादळ सूं
छुड़ाय हाथ,
मुळकती-ढ़ुळकती
बा नान्ही सी छांट!
छोड़ देह रो खोळ,
सैह‘परी बिछोह..!
गळगी- हेत में,
रळगी- रेत में।
</poem>
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|रचनाकार=राजूराम बिजारणियां
|अनुवादक=
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आभै रै लूमतै बादळ सूं
छुड़ाय हाथ,
मुळकती-ढ़ुळकती
बा नान्ही सी छांट!
छोड़ देह रो खोळ,
सैह‘परी बिछोह..!
गळगी- हेत में,
रळगी- रेत में।
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