भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नान्हा गीत (1) / भंवर कसाना

1,013 bytes added, 10:08, 26 जून 2017
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भंवर कसाना |अनुवादक= |संग्रह=थार-स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=भंवर कसाना
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-4 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
ओ स्वारथ रा मीत!
समझलै म्हारै मन री प्रीत।
म्हारै मनड़ै राज
लुक्योड़ा लूंठा-लूंठा
आवंतड़ा तूफान
रूक्योड़ा सूंठा-सूंठा
म्हैं दरदी टेरां रै सागै
गाया है मुळकण रा गीत।
म्हारै मन रो तार
तंबूरै! थारै मनड़ै लाग्यो
खुद नै देय बिसार
हेत सूं थारै लारै भाग्यो
म्हारै जीतां हार सदाई
थारै जीतां जीत।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits