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|रचनाकार=सुरेन्द्र सुन्दरम
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-4 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
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<poem>
लोग
लारा गिणै
म्हैं गिणूं रात
जकी आपां
भेळी बिताई
बै रात...।
</poem>
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लोग
लारा गिणै
म्हैं गिणूं रात
जकी आपां
भेळी बिताई
बै रात...।
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