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{{KKRachna
|रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी'
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
आव भायला !
नैड़ो आव
राजनीति करां
थनै आगै दौड़ावां
म्हैं रैवां लारै
कुरसी कनै
थारै पूगतां ई
अडं़गी लगावां
थारै माथै पग धर ‘र
कुरसी तांई पूग जावां।
आव भायला !
कुरसी-कुरसी खेलां
माईता भी खेलता रैया है
इणी तरै रो खेल
जोड़ो इण मांय नूंवी रम्मत
बणावां जोड़ा
बे-मेळ
ओ इज तो है
राजनीति रो खेल।
</poem>
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आव भायला !
नैड़ो आव
राजनीति करां
थनै आगै दौड़ावां
म्हैं रैवां लारै
कुरसी कनै
थारै पूगतां ई
अडं़गी लगावां
थारै माथै पग धर ‘र
कुरसी तांई पूग जावां।
आव भायला !
कुरसी-कुरसी खेलां
माईता भी खेलता रैया है
इणी तरै रो खेल
जोड़ो इण मांय नूंवी रम्मत
बणावां जोड़ा
बे-मेळ
ओ इज तो है
राजनीति रो खेल।
</poem>