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|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
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<poem>
अकाळ
आज मिटै नीं काल
रोज आसी
मानखै नै खासी
सरकार उण सूं भिड़ण री
हर साल योजना बणासी
हर साल हुवै पईसां री योजना
दिखासी भागमभाग
जाणै राज मांय लागगी आग
पण
लारली बार सूं
दूणा मिनख मरसी
राज रै अफसरां रा
नूंवा घर भरसी
उणां री तिजोरी
अेक सूं दोय हुय जासी
गरीब तो बियां ई
रोवता रैसी।
</poem>
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