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|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=आईना-दर-आईना / डी. एम. मिश्र
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<poem>
ये ज़मीन खुशबुओं से भरी कोई फूल इसमें खिलाइये।
हाकिम तो आप बहुत बड़े इन्सान बनके दिखाइये।

ताक़त है बख़्शी ख़ुदा ने जो कुछ सोच करके ही आपको,
है वक़्त आप पे मेहरबाँ औरों के काम भी आइये।

इतने महान भी मत बनें किसी आदमी से घृणा करें,
इस पद के झूठे गुमान से भगवान मुझको बचाइये।

कुर्सी से अच्छे भी काम हों, कुर्सी से होते गुनाह भी,
कहने से बाज भी आइये कुछ करके आप दिखइये।

ओहदे से, पद से न हो सके या रौब से जो न मिल सके,
वह एक केवल प्यार से, आराम से सब पाइये।
</poem>
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