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लौटता है कहाँ नेता चुनाव के बाद।बाद
गाँव हो गया फिर ठंडा चुनाव के बाद।
फिर वो बन्डी और तहमद, फिर वही,
रख दिया खद्दर का कुर्ता चुनाव के बाद।
गाँव मैखाना बना था कल तलक,
और अब जल नहीं मिलता चुनाव के बाद।
कहाँ बकरा और मुर्गा कट रहा था,
कहाँ फिर वही भात सूखा चुनाव के बाद।
अब मोबाइल आफ करके घूमता हूँ,
हो गया है बहुत खर्चा चुनाव के बाद।
</poem>
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