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इज़्ज़तपुरम्-82 / डी. एम. मिश्र

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<poem>
रात की हुण्डी
दिन में कैसे हो कैश
जानती है मैडम

कौन-सी कली
कौन-सा फूल
किस-चमन से
चुनकर
कौन-सी माला पिरोनी है
जो किसी मंत्री और
अफसर के
गले का हार बने
</poem>
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