भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पूँछ / निधि सक्सेना

1,170 bytes added, 09:40, 12 अक्टूबर 2017
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निधि सक्सेना |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निधि सक्सेना
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
उसने ब्याह किया
और समझा कि अब वो पूर्ण हुआ
कि अब उसके एक पूँछ ऊग आई है
जो उम्र भर उससे बँधी रहेगी
हर वक्त उसके पीछे चलेगी
उसकी सफलता पर
मगन मस्त हिलेगी
उसकी ख़ुशी में नाचेगी
उसकी उदासी में
सीधी लटक जायेगी

जब किसी अजनबी से मुख़ातिब होगा
सहम कर दुबक जायेगी
जब कभी उद्विग्न होगा
डर कर पैरों में घुस जायेगी
उसके हर भाव को अचूक अभिव्यक्त करेगी

हाँ वो एक हद तक अच्छी पूँछ साबित हुई
और वो विशुद्ध ????
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits