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{{KKRachna
|रचनाकार=नील्स फर्लिन
|संग्रह=
}}
<Poem>
हम रहते हैं अलग घरों में
लेकिन करते है सामना एक ही स्थिति का.
इसलिए थक जाते हैं, एक एक कर.
गहरे कहीं ईश्वर के वृहद् प्रकाश में
(जो मात्र माचिस की तीली के प्रकाश सा है
सर्द रास्तों के शोर में)
हमारी हथेलियाँ अधिकाधिक सुकून पाती हैं.
'''(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)'''
</poem>
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|रचनाकार=नील्स फर्लिन
|संग्रह=
}}
<Poem>
हम रहते हैं अलग घरों में
लेकिन करते है सामना एक ही स्थिति का.
इसलिए थक जाते हैं, एक एक कर.
गहरे कहीं ईश्वर के वृहद् प्रकाश में
(जो मात्र माचिस की तीली के प्रकाश सा है
सर्द रास्तों के शोर में)
हमारी हथेलियाँ अधिकाधिक सुकून पाती हैं.
'''(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)'''
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