भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मार्च 1979 / टोमास ट्रान्सटोमर

834 bytes added, 03:40, 17 अक्टूबर 2017
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=टोमास ट्रान्सटोमर |संग्रह= }} <Poem> ऊब...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=टोमास ट्रान्सटोमर
|संग्रह=
}}
<Poem>
ऊब कर उन सबसे जो मिलते हैं तमाम शब्दों के साथ
शब्द, मगर कोई भाषा नहीं,
चला जाता हूँ मैं बर्फ से ढंके हुए द्वीप पर
कोई शब्द नहीं होते आदिम लोगों के पास
सादे कागज़ फैले हुए हर तरफ !
अचानक बर्फ में दिखते हैं हिरन के खुरों के निशान
भाषा, मगर कोई शब्द नहीं.

'''(अनुवाद : मनोज पटेल)'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits