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Kavita Kosh से
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वो खिड़की, खुली रखना
जहाँ से आती हो, ताज़ा ताज़ी हवा
थोड़ी सी चाँदनी और
आ सके गर, एक पुरानी याद
आधा क़तरा नमी मेरी
किसी बेचैन सांस मेमें
सिसकी जो उग आए
बहा लेना आँखों से, चंद मुस्कुराहटें
खनक उनकी, भर लेना गुल्लक मेमें
एक दिन, बेचैनीतोड़ बेचैनी तोड़ करनयी सी दुनिया खरीद लेना.
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