भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आशावादी / नाज़िम हिक़मत

67 bytes added, 16:10, 4 नवम्बर 2017
{{KKRachna
|रचनाकार=नाज़िम हिक़मत
|अनुवादक=मनोज पटेल
|संग्रह=
}}
<poem>
जब वह छोटा था तो उसने कभी नहीं नोचे मक्खियों के पर,
न ही कभी टीन के डिब्बे बांधे बाँधे बिल्लियों की पूंछ पूँछ से,माचिस की डिब्बियों में कभी नहीं बंद बन्द किया कीड़ों को,न ही नष्ट किया कभी चींटियों की बांबी को. बाँबी को।
वह बड़ा हुआ तो
ये सारी चीजें चीज़ें उसके साथ की गयीं. गईं।
जब वह मृत्युशय्या पर था
तो उसने मुझसे एक कविता सुनाने के लिए कहा,
सूरज और समुद्र के बारे में,
परमाणु रिएक्टरों और सेटलाइटों उपग्रहों के बारे में,
मानव जाति की महानतम उपलब्धियों के बारे में.
6 दिसंबर 1958
बाकू
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,627
edits