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ठंडक, ख्नुशबू, चमक, लताफ़त, नरमी<br>
गुलज़ार ए इरम का पहला तड़का है कि आँख <br>
 
 
लहरों में खिला कंवल नहाए जैसे<br>
दोशीज़: ए सुबह गुनगुनाए जैसे<br>
ये रूप, ये लोच, ये तरन्नुम, ये निखार <br>
बच्चा सोते में मुसकुराए जैसे <br><br>
 
दोशीज़-ए-बहार मुस्कुराए जैसे<br>
मौज ए तसनीम गुनगुनाए जैसे<br>
ये शान ए सुबकरवी, ये ख़ुशबू-ए-बदन<br>
बल खाई हुई नसीम गाए जैसे<br><br>
 
ग़ुनचे को नसीम गुदगुदाए जैसे<br>
मुतरिब कोई साज़ छेड़ जाए जैसे<br>
यूँ फूट रही है मुस्कुराहट की किरन <br>
मन्दिर में चिराग़ झिलमिलाए जैसे<br><br>
 
मंडलाता है पलक के नीचे भौंवरा<br>
गुलगूँ रुख़सार की बलाएँ लेता<br>
रह रह के लपक जाता है कानों की तरफ़ <br>
गोया कोई राज़ ए दिल है इसको कहना<br><br>
 
माँ और बहन भी और चहेती बेटी<br>
घर की रानी भी और जीवन साथी<br>
फिर भी वो कामनी सरासर देवी<br>
और सेज पे बेसवा वो रस की पुतली<br><br>
 
अमृत में धुली हुई फ़िज़ा ए सहरी<br>
जैसे शफ़्फ़ाफ़ नर्म शीशे में परी<br>
ये नर्म क़बा में लेहलहाता हुआ रूप <br>
जैसे हो सबा की गोद फूलोँ से भरी<br><br>
 
हम्माम में ज़ेर ए आब जिस्म ए जानाँ <br>
जगमग जगमग ये रंग-ओ-बू का तूफ़ाँ <br>
मलती हैं सहेलियाँ जो मेंहदी रचे पांव <br>
तलवों की गुदगुदी है चहरे से अयाँ <br><br>
 
चिलमन में मिज़: की गुनगुनाती आँखें <br>
चोथी की दुल्हन सी लजाती आँखें<br>
जोबन रस की सुधा लुटाती हर आन <br>
पलकों की ओट मुस्कुराती आँखें<br><br>
 
तारों को भी लोरियाँ सुनाती हुई आँख <br>
जादू शब ए तार का जगाती हुई आँख <br>
जब ताज़गी सांस ले रही हो दम ए सुब: <br>
दोशीज़: कंवल सी मुस्कुराती हुई आँख <br><br>
 
भूली हुई ज़िन्दगी की दुनिया है कि आँख <br>
दोशीज़: बहार का फ़साना है कि आँख <br>
ठंडक, ख्नुशबू, चमक, लताफ़त, नरमी<br>
गुलज़ार ए इरम का पहला तड़का है कि आँख <br><br>