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रुबाईयाँ / फ़िराक़ गोरखपुरी

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}}
[[Category:रुबाई]]
<poem>
लहरों में खिला कंवल नहाए जैसे
दोशीज़: ए सुबह गुनगुनाए जैसे
ये रूप, ये लोच, ये तरन्नुम, ये निखार
बच्चा सोते में मुसकुराए जैसे
[[Categoryदोशीज़:रुबाईयाँ]]ए बहार मुसकुराए जैसेमौज ए तसनीम गुनगुनाए जैसेये शान ए सुबकरवी, ये ख्नुशबू ए बदनबल खाई हुई नसीम गाए जैसे
1. लहरों में खिला कंवल नहाए ग़ुनचे को नसीम गुदगुदाए जैसे<br>दोशीज़: ए सुबह गुनगुनाए मुतरिब कोई साज़ छेड़जाए जैसे<br>ये रूप, ये लोच, ये तरन्नुम, ये निखार <br>यूँ फूट रही है मुस्कुराहट की किरन बच्चा सोते मन्दिर में मुसकुराए चिराग़ झिलमिलाए जैसे<br><br>
2. दोशीज़: ए बहार मुसकुराए जैसे<br>मंडलाता है पलक के नीचे भौंवरामौज ए तसनीम गुनगुनाए जैसे<br>गुलगूँ रुख्नसार की बलाऎं लेताये शान रह रह के लपक जाता है कानों की तरफ़ गोया कोई राज़ सुबकरवी, ये ख्नुशबू ए बदन<br>बल खाई हुई नसीम गाए जैसे<br><br>दिल है इसको कहना
3. ग़ुनचे को नसीम गुदगुदाए जैसे<br>माँ और बहन भी और चहीती बेटीमुतरिब कोई साज़ छेड़जाए जैसे<br>यूँ फूट रही है मुस्कुराहट घर की किरन <br>रानी भी और जीवन साथीमन्दिर में चिराग़ झिलमिलाए जैसे<br><br>फिर भी वो कामनी सरासर देवीऔर सेज पे बेसवा वो रस की पुतली
4. मंडलाता है पलक के नीचे भौंवरा<br>अमृत में धुली हुई फ़िज़ा ए सहरीगुलगूँ रुख्नसार की बलाऎं लेता<br>जैसे शफ़्फ़ाफ़ नर्म शीशे में परीरह रह के लपक जाता है कानों ये नर्म क़बा में लेहलहाता हुआ रूप जैसे हो सबा की तरफ़ <br>गोया कोई राज़ ए दिल है इसको कहना<br><br>गोद फूलोँ से भरी
5. माँ और बहन भी और चहीती बेटी<br>हम्माम में ज़ेर ए आब जिसम ए जानाँ घर की रानी भी और जीवन साथी<br>जगमग जगमग ये रंग ओ बू का तूफ़ाँफिर भी वो कामनी सरासर देवी<br>मलती हैं सहेलियाँ जो मेंहदी रचे पांव और सेज पे बेसवा वो रस तलवों की पुतली<br><br>गुदगुदी है चहरे से अयाँ
6. अमृत चिलमन में धुली हुई फ़िज़ा ए सहरी<br>मिज़: की गुनगुनाती आँखें जैसे शफ़्फ़ाफ़ नर्म शीशे में परी<br>चोथी की दुल्हन सी लजाती आँखेंये नर्म क़बा में लेहलहाता हुआ रूप <br>जोबन रस की सुधा लुटाती हर आन जैसे हो सबा पलकोँ की गोद फूलोँ से भरी<br><br>ओट मुस्कुराती आँखें
7. हम्माम में ज़ेर ए आब जिसम ए जानाँ <br>तारों को भी लोरियाँ सुनाती हुई आँख जगमग जगमग ये रंग ओ बू जादू शब ए तार का तूफ़ाँ <br>जगाती हुई आँख मलती हैं सहेलियाँ जो मेंहदी रचे पांव <br>जब ताज़गी सांस ले रही हो दम ए सुबतलवों की गुदगुदी है चहरे से अयाँ <br><br>दोशीज़: कंवल सी मुस्कुराती हुई आँख
8. चिलमन में मिज़: भूली हुई ज़िन्दगी की गुनगुनाती आँखें <br>दुनिया है कि आँख चोथी की दुल्हन सी लजाती आँखें<br>दोशीज़: बहार का फ़साना है कि आँख जोबन रस की सुधा लुटाती हर आन <br>ठंडक, ख्नुशबू, चमक, लताफ़त, नरमीपलकोँ की ओट मुस्कुराती आँखें<br><br>गुलज़ार ए इरम का पहला तड़का है कि आँख
9. तारों को भी लोरियाँ सुनाती हुई आँख <br>
जादू शब ए तार का जगाती हुई आँख <br>
जब ताज़गी सांस ले रही हो दम ए सुब: <br>
दोशीज़: कंवल सी मुस्कुराती हुई आँख <br><br>
10. भूली हुई ज़िन्दगी की दुनिया है कि आँख <br>लहरों में खिला कंवल नहाए जैसेदोशीज़: बहार का फ़साना है कि आँख <br>ए सुबह गुनगुनाए जैसेठंडकये रूप, ख्नुशबूये लोच, चमकये तरन्नुम, लताफ़त, नरमी<br>ये निखार गुलज़ार ए इरम का पहला तड़का है कि आँख <br>बच्चा सोते में मुसकुराए जैसे
दोशीज़-ए-बहार मुस्कुराए जैसे
मौज ए तसनीम गुनगुनाए जैसे
ये शान ए सुबकरवी, ये ख़ुशबू-ए-बदन
बल खाई हुई नसीम गाए जैसे
लहरों में खिला कंवल नहाए ग़ुनचे को नसीम गुदगुदाए जैसे<br>दोशीज़: ए सुबह गुनगुनाए मुतरिब कोई साज़ छेड़ जाए जैसे<br>ये रूप, ये लोच, ये तरन्नुम, ये निखार <br>यूँ फूट रही है मुस्कुराहट की किरन बच्चा सोते मन्दिर में मुसकुराए चिराग़ झिलमिलाए जैसे <br><br>
दोशीज़-ए-बहार मुस्कुराए जैसे<br>मंडलाता है पलक के नीचे भौंवरामौज ए तसनीम गुनगुनाए जैसे<br>गुलगूँ रुख़सार की बलाएँ लेताये शान रह रह के लपक जाता है कानों की तरफ़गोया कोई राज़ सुबकरवी, ये ख़ुशबू-ए-बदन<br>बल खाई हुई नसीम गाए जैसे<br><br>दिल है इसको कहना
ग़ुनचे को नसीम गुदगुदाए जैसे<br>माँ और बहन भी और चहेती बेटीमुतरिब कोई साज़ छेड़ जाए जैसे<br>यूँ फूट रही है मुस्कुराहट घर की किरन <br>रानी भी और जीवन साथीमन्दिर में चिराग़ झिलमिलाए जैसे<br><br>फिर भी वो कामनी सरासर देवीऔर सेज पे बेसवा वो रस की पुतली
मंडलाता है पलक के नीचे भौंवरा<br>अमृत में धुली हुई फ़िज़ा ए सहरीगुलगूँ रुख़सार की बलाएँ लेता<br>जैसे शफ़्फ़ाफ़ नर्म शीशे में परीरह रह के लपक जाता है कानों ये नर्म क़बा में लेहलहाता हुआ रूप जैसे हो सबा की तरफ़ <br>गोया कोई राज़ ए दिल है इसको कहना<br><br>गोद फूलोँ से भरी
माँ और बहन भी और चहेती बेटी<br>हम्माम में ज़ेर ए आब जिस्म ए जानाँ घर की रानी भी और जीवन साथी<br>जगमग जगमग ये रंग-ओ-बू का तूफ़ाँ फिर भी वो कामनी सरासर देवी<br>मलती हैं सहेलियाँ जो मेंहदी रचे पांव और सेज पे बेसवा वो रस तलवों की पुतली<br><br>गुदगुदी है चहरे से अयाँ
अमृत चिलमन में धुली हुई फ़िज़ा ए सहरी<br>मिज़: की गुनगुनाती आँखें जैसे शफ़्फ़ाफ़ नर्म शीशे में परी<br>चोथी की दुल्हन सी लजाती आँखेंये नर्म क़बा में लेहलहाता हुआ रूप <br>जोबन रस की सुधा लुटाती हर आनजैसे हो सबा पलकों की गोद फूलोँ से भरी<br><br>ओट मुस्कुराती आँखें
हम्माम में ज़ेर ए आब जिस्म ए जानाँ <br>तारों को भी लोरियाँ सुनाती हुई आँख जगमग जगमग ये रंग-ओ-बू जादू शब ए तार का तूफ़ाँ <br>जगाती हुई आँख मलती हैं सहेलियाँ जो मेंहदी रचे पांव <br>जब ताज़गी सांस ले रही हो दम ए सुब:तलवों की गुदगुदी है चहरे से अयाँ <br><br>दोशीज़: कंवल सी मुस्कुराती हुई आँख
चिलमन में मिज़: भूली हुई ज़िन्दगी की गुनगुनाती आँखें <br>दुनिया है कि आँख चोथी की दुल्हन सी लजाती आँखें<br>दोशीज़: बहार का फ़साना है कि आँख जोबन रस की सुधा लुटाती हर आन <br>ठंडक, ख्नुशबू, चमक, लताफ़त, नरमीपलकों की ओट मुस्कुराती आँखें<br><br>गुलज़ार ए इरम का पहला तड़का है कि आँख
तारों को भी लोरियाँ सुनाती हुई आँख <br>
जादू शब ए तार का जगाती हुई आँख <br>
जब ताज़गी सांस ले रही हो दम ए सुब: <br>
दोशीज़: कंवल सी मुस्कुराती हुई आँख <br><br>
भूली हुई ज़िन्दगी किस प्यार से दे रही है मीठी लोरीहिलती है सुडौल बांह गोरी-गोरीमाथे पे सुहाग आंखों मे रस हाथों मेंबच्चे के हिंडोले की दुनिया चमकती डोरी  किस प्यार से होती है ख़फा बच्चे सेकुछ त्योरी चढ़ाए मुंह फेरे हुएइस रूठने पे प्रेम का संसार निसारकहती है कि आँख <br>जा तुझसे नहीं बोलेंगेदोशीज़: बहार  है ब्याहता पर रूप अभी कुंवारा हैमां है पर अदा जो भी है दोशीज़ा हैवो मोद भरी मांग भरी गोद भरीकन्या है , सुहागन है जगत माता हौदी पे खड़ी खिला रही है चाराजोबन रस अंखड़ियों से छलका छलकाकोमल हाथों से है थपकती गरदनकिस प्यार से गाय देखती है मुखड़ा वो गाय को दुहना वो सुहानी सुब्हेंगिरती हैं भरे थन से चमकती धारेंघुटनों पे वो कलस का फ़साना खनकना कम-कमया चुटकियों से फूट रही हैं किरनें मथती है जमे दही को रस की पुतलीअलकों की लटें कुचों पे लटकी-लटकीवो चलती हुई सुडौल बाहों की लचककोमल मुखड़े पर एक सुहानी सुरखी आंखें हैं कि आँख <br>पैग़ाम मुहब्बत वालेठंडकबिखरी हैं लटें कि नींद में हैं कालेपहलू से लगा हुआ हिरन का बच्चाकिस प्यार से है बग़ल में गर्दन डाले  आँगन में सुहागनी नहा के बैठी हुईरामायण जानुओं पे रक्खी है खुलीजाड़े की सुहानी धूप खुले गेसू कीपरछाईं चमकते सफ़हे* पर पड़ती हुई मासूम जबीं और भवों के ख़ंजरवो सुबह के तारे की तरह नर्म नज़रवो चेहरा कि जैसे सांस लेती हो सहरवो होंट तमानिअत** की आभा जिन पर अमृत वो हलाहल को बना देती हैगुस्से की नज़र फूल खिला देती हैमाँ लाडली औलाद को जैसे ताड़ेकिस प्यार से प्रेमी को सज़ा देती है प्यारी तेरी छवि दिल को लुभा लेती हैइस रूप से दुनिया की हरी खेती हैठंडी है चाँद की किरन सी लेकिनये नर्म नज़र आग लगा देती है सफ़हे – माथा, ख्नुशबूतमानिअत - संतोष प्रेमी को बुखार, चमक, लताफ़तउठ नहीं सकती है पलकबैठी हुई है सिरहाने, नरमी<br>माँद मुखड़े की दमकगुलज़ार ए इरम का पहला तड़का जलती हुई पेशानी पे रख देती है हाथपड़ जाती है बीमार के दिल में ठंडक चेहरे पे हवाइयाँ निगाहों में हिरास*साजन के बिरह में रूप कितना है उदासमुखड़े पे धुवां धुवां लताओं की तरहबिखरे हुए बाल हैं कि आँख <br><br>सीता बनवास पनघट पे गगरियाँ छलकने का ये रंगपानी हचकोले ले के भरता है तरंगकांधों पे, सरों पे, दोनों बाहों में कलसमंद अंखड़ियों में, सीनों में भरपूर उमंग ये ईख के खेतों की चमकती सतहेंमासूम कुंवारियों की दिलकश दौड़ेंखेतों के बीच में लगाती हैं छलांगईख उतनी उगेगी जितना ऊँचा कूदें
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