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|रचनाकार=इंदुशेखर तत्पुरुष
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|संग्रह=पीठ पर आँख / इंदुशेखर तत्पुरुष
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<poem>
एक दिन
सूख जाता पानी
आग ठंडी पड़ जाती
हवा तो ठहरती ही क्या
कब की उड़ जाती कहां-कहां!
अन्ततः बची रहती धरती।
अमर हो जाती हैं वस्तुएं
धरती में डूब कर
धरती होकर।
</poem>
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