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ठंडक, ख्नुशबू, चमक, लताफ़त, नरमी<br>
गुलज़ार ए इरम का पहला तड़का है कि आँख <br><br>
 
 
किस प्यार से दे रही है मीठी लोरी<br>
हिलती है सुडौल बांह गोरी-गोरी<br>
माथे पे सुहाग आंखों मे रस हाथों में<br>
बच्चे के हिंडोले की चमकती डोरी<br><br>
 
 
किस प्यार से होती है ख़फा बच्चे से<br>
कुछ त्योरी चढ़ाए मुंह फेरे हुए<br>
इस रूठने पे प्रेम का संसार निसार<br>
कहती है कि जा तुझसे नहीं बोलेंगे<br><br>
 
 
है ब्याहता पर रूप अभी कुंवारा है<br>
मां है पर अदा जो भी है दोशीज़ा है<br>
वो मोद भरी मांग भरी गोद भरी<br>
कन्या है , सुहागन है जगत माता<br>