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|रचनाकार=इंदुशेखर तत्पुरुष
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|संग्रह=पीठ पर आँख / इंदुशेखर तत्पुरुष
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<poem>
यह मेरी
आत्मा का नाद है
जो तुम्हारी देह में बजकर
विलीन हो जाना चाहता तुममें ही
ओ मेरी बांसुरी!
तुम बिन,
अनकहा रह जाएगा यह
भटकता रह जाएगा।
</poem>
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