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|रचनाकार=राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'
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<poem>
भाखफाटै री वेळा
मांग भरै धरणी री
सुरजी
मधरौ-मधरौ
पाळै हूंस
धरणी रा जाया-जलम्या
रै हियां में।

</poem>
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