भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
समदर री ड़ुंगाई
हिमाळै री ऊंचास
आभै रौ पसराव
तारां री गिणत
धरणी रौ तौल तकात
सौ-कीं लखावै अणमाप
पण विग्यान खातर
अै ओखा कोनी
सगळा ताबै आयग्या
तकनीक रै घोचां सूं।

फगत अेक तत्त रौ
माप नीं कर सकै
तकनीक अर विग्यान रा जंतर।

हियै हबोळा खावतै
प्रेम रौ माप
वीं तत्त रौ तोल
वीं तत्त री ऊंचास
वीं तत्त री डुंगाई
वीं तत्त रौ पसराव।

वौ अणछेह-अणमाप है
वीं तत्त पूगण खातर
बणणौ पड़ै
हीर-रांझा
ढोला-मारू
लैला-मजनूँ
सीरी-फरहाद
सोहणी-महिवाळ
कै राधा-क्रिस्ण।

</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits