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04:12, 23 दिसम्बर 2017
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एक कँटीली नार है भाईरूह ऊला थी, जिस्म सानी था'नार नहीं गुलनार है भाई'इश्क़' सचमुच में शे'र यानी था!
हाए सरापा शादाबी तनउस की बाहें भी गुलहज़ारा थींजोबन अपरम्पार है भाईउस का बोसा भी ज़ाफ़रानी था
माहे-सावन की शोख़ी सब ने बोला कि वां तो सहरा हैइंद्रधनुष का सार है भाई!हम ने लिक्खा 'वहां पे पानी था'
वो गालों पा टीका कालाइतनी जुर्रत जहां के बस की थी?उस का पहरे-दार है भाईकोई जलवा तो ''आसमानी'' था
पर्बत-दरिया-घाटी-सहराउससे कैसी उम्मीद कब तक कीयों उसका आकार है भाई'जिस का पेशा ही ख़ानदानी था'
'वो वक़्त ने ही दिल की चारागर किया है कुछ य'अनीदिल उससे बीमार है भाई'याद अब तक वो मुँहज़बानी था'
वो ग़ाइब है और अदब को'रास उसको भला क्यों आता दैरउस की ही दरकार है भाई!वो तो फ़ितरत से ला मकानी था'
उसके दिल का वो उसका किस्सा ही जानेदब गया गोयाअपना दिल लाचार है भाईवो जो ख़ुद में ही इक कहानी था
क्योंकर नाज़ दिखावे ना वोप्यार करता था कोई मुझ से ख़ूबजब उसकी सरकार याद कहती है भाई, मैं भी 'जानी' था
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