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अंतत: / सुकेश साहनी

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अन्तत:
उसने झोंक दिया मुझको अंसख्य–असंख्य माँओं बिजली की कोखें भट्ठी में जहाँ से मेरे पर निरन्तर बने रहने कीनहीं छीन सका मुझसेप्रक्रिया जारी हैं।अंसख्य–असंख्य माँओं की कोखें ।
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