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मेनोपॉज / निरुपमा सिन्हा

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वह अकेली थी
नितांत अकेली
क्यूँकि .... मोनोपॉज़!!!
कोई रोग नहीं है
जिसके लिए संवेदनाएँ इकठ्ठा की जाएँ!!
</poem>
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