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प्रणमाँजलि [ {{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=लावण्या शाह}} राग : केदार ] माँ सरस्वती सदा कृपा हम पर कीजिये,<br>गिरुजनोँ के प्रति विनीत होँ, आषिश हमको दीजिये !<br>भूल हरेक भेद ~ भाव, स्नेह से बँध कर रहेँ,<br>जाति ~ पाति, भेद ~ भाँर्ति, दूर कर सकेँ,<br>प्रेम के ही पँथ पर सब के पग पडेँ <br>माँ सरस्वती सदा<br>सूर्य ~ सा प्रकाश मन मेँ , फैल कर बढे,<br>नित रुचिर, नित नवीन, आलोक से भरेँ,<br>स्वर्ग भूमि पर सदा, स्थापित हम करेँ !<br>माँ सरस्वती सदा.<br>विनय , शाँति, सौम्य द्रिष्टि, जीवन मेँ रखेँ,<br>हो प्रतीति विश्व की, ज्ञान दिपती से,<br>
सर्व ~ मँगल भावना, ह्रदय मेँ बसे !