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चाँदनी / लावण्या शाह

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चाँद मेरा साथी है..{{KKGlobal}}और अधूरी बात {{KKRachnaसुन रहा है, चुपके चुपके,|रचनाकार=लावण्या शाह मेरी सारी बात!चाँद मेरा साथी है..}}
चाँद मेरा साथी है..<br>
और अधूरी बात <br>
सुन रहा है, चुपके चुपके,<br>
मेरी सारी बात!<br>
चाँद मेरा साथी है..<br><br>
चाँद चमकता क्यूँ रहता है ?
क्यूँ घटता बढता रहता है ?
क्योँ उफान आता सागर मेँ ?
क्यूँ जल पीछे हटता है ?
चाँद मेरा साथी है..
और अधूरी बात
सुन रहा है, चुपके चुपके,
मेरी सारी बात!
चाँद चमकता क्यूँ रहता है ?<br>
क्यूँ घटता बढता रहता है ?<br>
क्योँ उफान आता सागर मेँ ?<br>
क्यूँ जल पीछे हटता है ?<br>
चाँद मेरा साथी है..<br>
और अधूरी बात <br>
सुन रहा है, चुपके चुपके,<br>
मेरी सारी बात!<br>
क्योँ गोरी को दिया मान?<br>
क्यूँ सुँदरता हरती प्राण?<br>
क्योँ मन डरता है, अनजान?<br>
क्योँ परवशता या अभिमान?<br><br>
क्योँ गोरी को दिया मान?चाँद मेरा साथी है..<br>और अधूरी बात<br>सुन रहा है, चुपके चुपके,<br>मेरी सारी बात!<br><br>
क्यूँ सुँदरता हरती मन मेरा है नादान ?<br>क्यूँ झूठोँ का बढता मान?<br>क्योँ फिरते जगमेँ बन ठन?<br>क्योँ हाथ पसारे देते प्राण?<br><br>
क्योँ मन डरता है, अनजान? क्योँ परवशता या अभिमान? चाँद मेरा साथी है..और अधूरी बातसुन रहा है, चुपके चुपके, मेरी सारी बात! क्यूँ मन मेरा है नादान ? क्यूँ झूठोँ का बढता मान? क्योँ फिरते जगमेँ बन ठन? क्योँ हाथ पसारे देते प्राण? चाँद मेरा साथी है...<br>और अधूरी बात<br>सुन रहा है, चुपके चुपके,<br> मेरी सारी बात!