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तुम्हारी स्मृति / कविता भट्ट

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जीवन के पथ पर
तुम्हारी स्मृति पग-पग पर।
मेरा नन्हा।नन्हा-सा मन
सरस स्नेहिल-सा मन
नव विकसित यौवन