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{{KKRachna
|रचनाकार=[[ॠतुप्रिया]]
|अनुवादक=
|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
हे परमेसर सुण ले म्हारी
माँ री कूख स्यूं अरज है म्हारी
थूं सद्बुद्धि दे सगळां नै
थारी लीला सैं’ स्यूं न्यारी
जग रा मन्नै दरस करा दे
माँ रै हाथ रौ परस करा दे
म्हूं जग नै कीं बदळनौ चाऊं
बरसां रा म्हूं भेद मिटाऊं
आखै जग नै देखणौ चाऊं
पण म्हूं भीतर ई भरमाऊं
स्यात भाग में नीं है म्हारै
बा री बातां सुण घबराऊं
जलम स्यूं पैली मार सी मन्नै
पण बंचण री आस लगाऊं।
</poem>
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|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
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<poem>
हे परमेसर सुण ले म्हारी
माँ री कूख स्यूं अरज है म्हारी
थूं सद्बुद्धि दे सगळां नै
थारी लीला सैं’ स्यूं न्यारी
जग रा मन्नै दरस करा दे
माँ रै हाथ रौ परस करा दे
म्हूं जग नै कीं बदळनौ चाऊं
बरसां रा म्हूं भेद मिटाऊं
आखै जग नै देखणौ चाऊं
पण म्हूं भीतर ई भरमाऊं
स्यात भाग में नीं है म्हारै
बा री बातां सुण घबराऊं
जलम स्यूं पैली मार सी मन्नै
पण बंचण री आस लगाऊं।
</poem>