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|विविध=
}}
'''पहला भाग : 34 ग़ज़लें'''
* [[सिर्फ़ महलों को बचाती इस व्यवस्था के ख़िलाफ़ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[इक दिन बिकने लग जाएँगे बादल-वादल सब / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[कहीं भी आसमाँ पे मील का पत्थर नहीं होता / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[जब-जब तुम्हारे पाँव ने रस्ता बदल दिया / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[ख़ुदा के साथ यहाँ राम हमनिवाला है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[सूट-बूट को नायक झुग्गियाँ समझती हैं / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[जो कह न सके सच वो महज़ नाम का शाइर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[रोटी की रेडियस, जो तिहाई हुई, तो है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[हों ज़ुल्म बेहिसाब तो लोहा उठाइये / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[अपनी ताक़त के बलबूते हाथी ज़िन्दा है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[हो ख़ुशी या ग़म या मातम, जो भी है यहीं अभी है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[देख तेरे संसार की हालत सब्र छूटने लगता है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[ये झूठ है अल्लाह ने इंसान बनाया / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[अच्छी बात वही जिसको मर्ज़ी अपनाती है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[वक़्त आ गया दुःस्वप्नों के सच होने का / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[जगत में पाप जो पर्वत समान करते हैं / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[पुल के ऊपर से जाते जो गहराई से घबराते हैं / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[जब धरती पर रावण राजा बनकर आता है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[जाल सहरा पे डाले गये / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[प्रबंधन का अब उसको, सलीक़ा हो गया है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[जैसे मछली की हड्डी खाने वाले को काँटा है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[अमीरी बेवफ़ा मौका मिले तो छोड़ जाती है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[रक्षक स्वयं हो चोर तो लोहा उठाइए / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[मैं तो नेता हूँ जो मिल जाए जिधर, खा जाऊँ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[बरसात प्यार की हो सारा जहाँ सजल हो / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[था हरा और भरा साँवला कोयला / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[जहाँ जीने की आस रहती है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[तेज़ दिमाग़ों को रोबोट बनाते हैं हम / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[धूप से लड़ते हुए यदि मर कभी जाता है वो / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[क्या-क्या न करे देखिए पूँजी मेरे आगे / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[दर्द-ए-मज़्लूम जिसने समझा है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[बिखर जाएँ चूमें तुम्हारे क़दम / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[दिल के ज़ख़्मों को चलो ऐसे सँभाला जाए / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
* [[आदमी की ज़िन्दगी है दफ़्तरों के हाथ में / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
 
* [[महीनों तक तुम्हारे प्यार में इसको पकाया है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र]]
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