भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार='सज्जन' धर्मेन्द्र |संग्रह=पूँजी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार='सज्जन' धर्मेन्द्र
|संग्रह=पूँजी और सत्ता के ख़िलाफ़ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
जब-जब तुम्हारे पाँव ने रस्ता बदल दिया।
हमने भी दिल के शहर का नक्शा बदल दिया।
इसकी रगों में बह रही नफ़रत ही बूँद बूँद,
देखो किसी ने धर्म का बच्चा बदल दिया।
अंतर गरीब अमीर का बढ़ने लगा है क्यूँ,
किसने समाजवाद का ढाँचा बदल दिया।
ठण्डी लगे है धूप जलाती है चाँदनी,
देखो हमारे प्यार ने क्या क्या बदल दिया।
छींटे लहू के बस उन्हें इतना बदल सके,
साहब ने जा के ओट में कपड़ा बदल दिया।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार='सज्जन' धर्मेन्द्र
|संग्रह=पूँजी और सत्ता के ख़िलाफ़ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
जब-जब तुम्हारे पाँव ने रस्ता बदल दिया।
हमने भी दिल के शहर का नक्शा बदल दिया।
इसकी रगों में बह रही नफ़रत ही बूँद बूँद,
देखो किसी ने धर्म का बच्चा बदल दिया।
अंतर गरीब अमीर का बढ़ने लगा है क्यूँ,
किसने समाजवाद का ढाँचा बदल दिया।
ठण्डी लगे है धूप जलाती है चाँदनी,
देखो हमारे प्यार ने क्या क्या बदल दिया।
छींटे लहू के बस उन्हें इतना बदल सके,
साहब ने जा के ओट में कपड़ा बदल दिया।
</poem>