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{{KKRachna
|रचनाकार=कार्ल मार्क्स
|अनुवादक=सोमदत्त
|संग्रह=
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<poem>
जेनी ! दिक करने को तुम पूछ सकती हो
::मानो कोई विस्मयजनक अलौकिक सत्तानुभूति
मानो राग कोई स्वर्ण-तारों के सितार पर !
 
'''रचनाकाल : 1836'''
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : सोमदत्त'''
</poem>
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