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Kavita Kosh से
जबकि कलपते हैं बस तुम्हारे लिए मेरे गीत
जबकि तुम, बस तुम्हीं, उन्हें उड़ान दे पाती हो
::जनकि जबकि हर अक्षर से फूटता हो तुम्हारा नाम
::जबकि स्वर-स्वर को देती हो माधुर्य तुम्हीं
::जबकि साँस-साँस निछावर हो अपनी देवी पर !